Aaisha... - 1
Aaisha... Writer: Monika Sharma - Introduction - Aaisha मैं [आयशा] बस सो कर उठी ही थी कि उसकी अम्मी किचन से चिल्ला रही थी - आयशा मैं तुम्हें आखरी बार बोल रही हु मुझे और परेशान मत करो उठ जाओ। तुम पहले ही काफी देर तक सो चुकी हो। मैं जल्दी से फ्रेश होकर नमाज़ पढ़ने लगी। पता नहीं क्यों लेकिन आज में अपने भाई को काफी ज्यादा याद कर रही थी। अम्मी ने मुझे बताया था मैं सिर्फ 10 साल की थी जब मेरे भाई जान हमें छोड़ कर अल्लाह के पास चले गए थे। ताज्जुब की बात है मुझे भाई के बारे में कुछ याद तक नहीं है। वो ऐसे थे क्या असंद था उन्हें मुझे इस बात कुछ भी नहीं पता। मुझे काफी ज्यादा बुरा लगता है जब मैं इस बारे में सोचती हूं। अभी मैं उनके बारे में सोच रही थी कि फिर से अम्मी की आवाज आती है - आयशा कहां हो तुम?? मैं जल्दी से अपने आंसू पहुंचकर किचन में अम्मी के पास चली गई - सलाम मम्मी हम आज फिर से लेट हो गए। आप प्लीज हमें माफ कर दीजिए। तब मम्मी मुझे बोलती है आयशा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है रात में इतनी देर तक मत जागा करो। देखो सुबह वक्त पर आंख नहीं खुलती है तुम्हारी। इतने में अब्बू भी नीचे आ जाते हैं। क्